रहस्यमय हिंदी कहानी : वर्च्युअल डॉटर

महावीर सांगलीकर

रहस्यमय हिंदी कहानी : वर्च्युअल डॉटर

दोपहर का समय था. लगभग दो बजे थे. रजनी मॅडम घर पर अकेली थीं. दरवाजे की घंटी बजी. इस समय कौन आया होगा? ऐसा सोचते हुए वह दरवाजे की ओर गयी. उन्होंने आईबॉल से बाहर देखा. बाहर एक युवा, आकर्षक, अनजान लड़की खड़ी थी.

यह कौन है, ऐसा सोचते हुए रजनी मॅडम ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही वह लड़की तेजी से घर के अंदर आ गई. उसके हाथ में एक पर्स था. उसका ड्रेस जींस और टी-शर्ट था. मॅडम के कुछ पूछने से पहले ही वह लड़की उस विशाल फ्लॅट के एक बेडरूम की ओर चली गई. दो ही मिनट में वह बाहर आ गई. वह अपनी ही धुन में थी. फिर उसने फ्रिज खोला. उसमें से पानी की एक बोतल निकाली और कुछ घूंट पानी पीकर उसे वापस रखा. फिर फ्रिज से चॉकलेट का एक पैकेट निकालकर अपने पर्स में रख लिया. फिर उसने कहा, “मां, मैं थोड़ी देर में वापस आती हूं…… और तुम मुझे ऐसे क्या देख रही हो? जैसे कोई भूत देख लिया हो?”

वह दरवाजा खोलकर बाहर चली गई और जाते जाते दरवाजा बंद कर दिया.

रजनी मॅडम अवाक रह गईं. यह कौन लड़की थी? उसने मुझे मां क्यों कहा? वह हमारे घर में इतनी आसानी से कैसे घूम रही थी? जैसे कि वह इस घर की ही सदस्य हो.

मॅडम ने तुरंत साहब को फोन लगाया.
“अहो, आप तुरंत घर आइए.”
“क्यों? ऑफिस में मेरा काम है.”
“काम रहने दो. तुम तुरंत घर आओ!”

रजनी मॅडम की आवाज में कुछ घबराहट थी. शायद कुछ गंभीर मामला था. साहब ने पूछा, “तुम इतनी डरी हुई क्यों हो? क्या हुआ?”
मॅडम ने जो कुछ हुआ था वह बताया. “वह लड़की थोड़ी देर में वापस आने वाली है. तुम जल्दी आओ.”

पाटिल साहब का ऑफिस पास ही था. वह तुरंत घर के लिए निकल पड़े. थोड़ी ही देर में वह घर पहुंच गए. उस समय तीन बजे थे. रजनी मॅडम ने उन्हें विस्तार से बताया कि क्या-क्या हुआ था.

“तुमने उससे ‘तुम कौन हो’ वगैरह कुछ नहीं पूछा?”
“नहीं! मेरी आवाज ही बंद हो गई थी. वह लड़की जैसे हमारी बेटी हो ऐसे व्यवहार कर रही थी. उसने मुझे मां भी कहा.”
“अब हम एक काम करेंगे… वह एक अच्छे घर की लड़की लगती है. जब वह वापस आएगी तो तुम उससे ऐसा व्यवहार करो जैसे वह हमारी ही बेटी हो. वैसे भी हमारी कोई बेटी नहीं है. उसे उसका नाम वगैरह मत पूछो. वह हम बाद में निकाल लेंगे. नाम पता चल गया तो उसे नाम से ही पुकारो.”

पाटील साहब का एक ही बेटा था. वह जर्मनी में था. यहां घर में पाटिल पाटिल और रजनी मॅडम यह दोनों ही रहते थे. दोनों को हमेशा लगता था कि अगर उनकी कोई बेटी होती तो कितना अच्छा होता.

इतने में घंटी बजी. “लगता है वह आ गयी” कहते हुए मॅडम दरवाजा खोलने जाने लगीं. इतने में पाटील साहब बोले, “रुको, मैं दरवाजा खोलता हूं.”

उन्होंने दरवाजा खोला. बाहर वह लड़की खड़ी थी. पाटील साहब को देखकर वह थोड़े आश्चर्य से बोली, “बाबा, आज आप इतनी जल्दी आ गये?”
“हां, आज कुछ खास काम नहीं था, इसलिए जल्दी घर आ गया” उन्होंने झूठ बोला.

अंदर आते ही उस उस लड़की ने अपना पर्स और मोबाइल फोन वहीं एक टेबल पर रख दिया. “मां, मैं फ्रेश होकर आती हूं” कहते हुए वह बाथरूम की ओर चली गई. बाथरूम का दरवाजा बंद करने की आवाज आ गयी.

पाटील साहब तुरंत उठे और टेबल के पास जाकर उसका मोबाइल फोन उठा लिया. स्क्रीन लॉक था, लेकिन दूसरे ही प्रयास में वह अनलॉक हो गया. उन्होंने फिर उस मोबाइल फोन से अपने फोन पर एक मिस कॉल दिया. उस लड़की का फोन उसी जगह पर रख दिया और आकर सोफे पर बैठ गए.

ट्रू कॉलर से उस लड़की का नाम पता चला. पाटील साहब को वह नाम देखकर आश्चर्य हुआ. उन्होंने रजनी मॅडम से धीमे आवाज में कहा, “उस लड़की का नाम अस्मिता है… अस्मिता पाटील.”

यह सुनकर मॅडम को आश्चर्य हुआ. “अगर हमारी बेटी होती तो उसका नाम हम अस्मिता रखते” ऐसा मॅडम पहले हमेशा कहती थीं.

पाटिल साहब ने अपने स्मार्ट फोन पर गूगल सर्च खोला और उसमें अस्मिता का फोन नंबर टाइप किया. फिर उन्होंने अस्मिता पाटील नाम से सर्च किया. सर्च रिजल्ट्स की दो-तीन वेबसाइट देखकर पाटील साहब सोच में पड़ गए. उनमें मिली जानकारी के अनुसार वह लड़की क्राइम ब्रांच में सब इंस्पेक्टर थी.

यह लड़की यहां क्यों आई है? वह भी हमारी बेटी बनकर? बेशक पाटील साहब को डरने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि वह एक ईमानदार अधिकारी थे.

इतने में अस्मिता बाहर आ गयी. उसने कहा, “मां, मुझे कुछ खाने को बना दो जल्दी. मुझे अर्जन्ट जाना है ड्यूटी पर … नहीं तो मैं खुद ही बना लेती हूं” कहते हुए वह किचन में चली गयी. रजनी मॅडम भी उसके पीछे-पीछे अंदर गयी.
अस्मिता ने कहा, “मैं हम तीनों के लिए उपमा बनाती हूं.” मां ने उसे जल्दी-जल्दी प्याज काटकर दिया. तब तक अस्मिता ने रवा भून लिया. अस्मिता ऐसी सहजता से काम कर रही थी जैसे वह रोज ही इस किचन में खाना बनती हो. रजनी मॅडम उसकी हर हरकत देख रही थीं.

अस्मिता उपमा खाकर, कॉफी पीकर फिर से बाहर निकल गई. जाने से पहले उसने अपना स्मार्टफोन उठाया और कहा, “मां, बाबा, मुझे आप दोनों के साथ सेल्फी लेनी है… सेल्फी विद मम्मी एंड पापा.”

फिर उसने पाटील साहब और रजनी मॅडम के साथ कुछ सेल्फीज ली. जाते वक्त उसने कहा, “मां, मैं शाम को सात बजे वापस आऊंगी.”

रहस्यमय हिंदी कहानी : वर्च्युअल डॉटर

वह जाने के बाद पाटील साहब ने अपने एक परिचित पुलिस इंस्पेक्टर को फोन लगाया.
“बोलिए पाटील साहब! आज बहुत दिनों बाद हमारी याद आई?” उस इन्स्पेक्टर ने कहा.
“मुझे एक जानकारी चाहिए थी… आपके डिपार्टमेंट में अस्मिता पाटील नाम की कोई सब इंस्पेक्टर है क्या?”
“क्या पाटील साहब, आप मेरी मजाक कर रहे हैं? वह आपकी बेटी ही तो है कमिश्नर ऑफिस में !”

पाटील साहब थोड़ी देर के लिए सुन्न हो गए. इतने में उन्हें व्हाट्सएप पर एक मेसेज आया. वह अस्मिता का था. थोड़ी देर पहले ली गई सेल्फीज उसने भेजी थी.

पाटील साहब ने रजनी मॅडम को वे फोटो दिखाते हुए कहा, “कितनी प्यारी लड़की है! तुम जब जवान थी, बिल्कुल ऐसी ही दिखती थी.” लेकिन रजनी मॅडम यह सुनने की मनःस्थिति में नहीं थीं.

थोड़ी देर बाद पाटील साहब ने अपना लॅप टॉप चालू किया. अपना फेसबुक अकाउंट खोला. उसमें ‘अस्मिता पाटील’ सर्च किया.

आश्चर्य! वह अस्मिता पाटील उनकी फ्रेंड्स लिस्ट में थी!

उन्होंने उसका प्रोफाइल चेक किया. उसके प्रोफाइल पर दी गई जानकारी में उसके रिश्तेदार थे:
पिता: सुदेश पाटील
मां: रजनी पाटील
भाई: रणजीत पाटील
कजिन: संग्राम सावंत

मेरा नाम उसके प्रोफाइल पर उसके पिता के रूप में कैसे आया? पाटील साहब सोचने लगे. उन्होंने मॅडम से कहा, “फेसबुक पर वह मेरी फ्रेंड्स लिस्ट में है. आज तक मेरा ध्यान कैसे नहीं गया? वह तुम्हारी फ्रेंड्स लिस्ट में भी होगी. तुम्हें ध्यान नहीं आया?”
“नहीं… मैं कहां ज्यादा जाती हूं फेसबुक पर?”

फिर पाटील साहब ने अपने भांजे को फोन लगाया.
“अरे संग्राम, तुम्हारे फेसबुक फ्रेंड्स में अस्मिता पाटील नाम की एक लड़की है.. कौन है वह?”
“मामा! आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? वह दीदी है… अस्मिता दीदी…”

अब पाटील साहब का सिर चकराने लगा. अगर रणजीत को फोन लगाया तो वह भी ऐसा ही कुछ कहेगा. उसे फोन करने की जरूरत नहीं है.

इतने में रणजीत का ही फोन आ गया. उसने पूछा, “पापा, अस्मिता घर आई है क्या? उसका फोन नहीं लग रहा. मुझे उससे कुछ काम है.”

पाटील साहब को समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या चल रहा है.

सात बजे वह लड़की घर आई तो हम उससे पूछेंगे ऐसा साहब ने सोचा.

आगे क्या हुआ? पढिये रहस्यमय हिंदी कहानी: वर्च्युअल डॉटर (भाग 2) इस लिंक पर

अन्य कुछ हिंदी कहानियां …..

मैंने प्यार किया

कल से आगे

नाराज बेबी की कहानी

अँजेलिना बॅण्ड की कहानी

TheyWon English

TheyWon मराठी

One thought on “रहस्यमय हिंदी कहानी : वर्च्युअल डॉटर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *