नाराज बेबी की कहानी

महावीर सांगलीकर

हिंदी कहानी: नाराज बेबी की कहानी

आजकल बेबी ने मेरे साथ अजीब व्यवहार करना शुरू कर दिया है. वह बहुत बार मुझसे नाराज रहती है और मुंहफट बातें करती है. मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि वह किस समय क्या कहेगी. कई बार वह दूसरों के सामने भी मुझसे कठोरता से बात करती है.

ऐसा नहीं है कि वह हमेशा ऐसे ही व्यवहार करती है. अक्सर वह मेरे प्रति बहुत प्यार से पेश आती है, मेरी केअर करती है. लेकिन मैं नहीं बता सकता कि उसका मूड कब बदल जाएगा.

वह कोई बच्ची नहीं है बल्कि एक सिंगल मदर है. प्यार से मैं उसे बेबी कहा करता हूं. मुझे पता है कि उसकी जिंदगी में बहुत सी समस्याएं हैं, जो उसे चिड़चिड़ा बना देती हैं. कभी-कभी वह अपनी सारी नाराज़गी मुझ पर निकाल देती है. एक बार, मैंने उससे कहा था कि वह अपनी बेटी पर गुस्सा न निकाले, लेकिन अगर उसे गुस्सा निकालना है, तो वह मुझ पर निकाल सकती है. वैसे मैंने उससे यह भी कहा था कि वह मुझ पर ज़्यादा गुस्सा न करे और मैं हर्ट जाऊं ऐसा भी कुछ न कहे. उसके बाद उसने मुझ पर अपनी नाराज़गी निकालना शुरू कर दिया, लेकिन हद में रहकर.

मैं उसे शांत करने के लिए कहता, “बेबी, शांत हो जाओ, शांत हो जाओ बेबी,” और वह तुरंत शांत हो जाती.

लेकिन परसों, चीजें बहुत आगे बढ़ गईं.

परसों, हम दोस्तों का ग्रुप लोनावला की ट्रिप पर गया. बेबी हमारे साथ थी. अगर वह नहीं आती, तो यह कहानी भी नहीं होती. अगर उसने ट्रिप के लिए हां नहीं कहा होता, तो ट्रिप का आयोजन ही नहीं हुआ होता. मैंने इस ट्रिप का आयोजन अपने जन्मदिन के लिए किया था. वैसे मेरा जन्मदिन बस एक बहाना था; असली कारण बेबी के साथ एक खुशहाल दिन बिताना था.

हम पूरे दिन खूब घूमे. दोपहर 2 बजे के बाद हमने एक शुद्ध शाकाहारी होटल में का भोजन किया. मेरा जन्मदिन भी वहीं मनाया गया. हमने केक नहीं काटा, लेकिन सभी ने मुझे शुभकामनाएं दीं और उपहार दिए. बाद में, हमने एक ग्रुप फोटो भी खिंचवाया. उस समय हमेशा की तरह बेबी मेरे बगल में, बहुत करीब खड़ी थी. लेकिन जैसे ही फोटो सेशन खत्म हुआ, वह वहां से दूर चली गयी.

बेबी थोड़ी मोटी है, लेकिन इतनी नहीं कि मोटी कही जा सके. हालांकि, मैं उसे हमेशा मोटी कहकर चिढ़ाता रहता हूं. उस दिन भी, मैंने उसे सबके सामने कई बार मोटी कहा. वह इसे हंसकर टाल देती थी.

शाम को हम सभी लोनावला रेलवे स्टेशन पहुंचे और लोकल ट्रेन से पुणे वापस जाने लगे. ट्रेन की सफर के दौरान बेबी उदास लग रही थी. वह खिड़की के पास एक कोने में, मुझसे दूर बैठी थी और किसी से बात नहीं कर रही थी.

उसके सामने की सीट खाली थी. मैं अपनी सीट से उठकर उसके सामने बैठ गया. उसे मेरा वहां बैठना पसंद नहीं आया और उसने ऐसा दिखाया जैसे उसने मुझे देखा ही नहीं. धीरे से मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ बेबी? तुम इतनी उदास क्यों हो?”

धीरे-धीरे लेकिन नाराज़गी से भरे स्वर में उसने कहा, “मुझे तुमसे बात नहीं करनी.”

उसके शब्दों ने मुझे बहुत आहत किया. वह यह क्या कह रही थी?

“तुम्हें क्या हुआ है, बेबी? क्या मैंने कुछ गलत किया?”

उसने कोई जवाब नहीं दिया और खिड़की से बाहर देखती रही, उसकी आंखे आसुओं से भरी हुई थीं. मैंने फिर से पूछा, “बेबी, तुम्हें क्या हुआ है?”

फिर उसने अचानक अपनी सीट से उठकर दूसरे डिब्बे में जाकर बैठ गई.

तब तक, सभी ने देख लिया था कि हमारे बीच कुछ गड़बड़ है. नविता ने पूछा, “क्या हुआ?”

मैंने कहा, “मैं उससे पूछ रहा हूं, लेकिन वह मुझे नहीं बताती. प्लीज जाकर उसके साथ बैठो और पता करो कि क्या हुआ है.”

नविता ने कहा, “नहीं बाबा, तुम ही फिर से जाकर उससे पूछो.”

जब मैं बेबी के पास गया, उसने चिल्लाकर कहा, “तुम मुझे क्यों परेशान करते रहते हो? क्या तुम मुझे अकेला छोड़ सकते हो? चले जाओ, नहीं तो मैं हमारी दोस्ती खत्म कर दूंगी!”

यह सुनकर मैं चौंक गया. सभी ने सुना कि उसने मुझे डांटा. मुझे बहुत अपमान महसूस हुआ. मैं उससे बहुत नाराज़ था.

उसी समय, हम चिंचवड़ पहुंचे. मैंने अपने दोस्तों को अलविदा कहा और ट्रेन से उतर गया. मैंने बेबी की तरफ देखा तक नहीं.

जब मैं घर आया, तो लगभग आठ बज रहे थे.
मुझे आज बेबी के साथ सब कुछ साफ़ करना है.
वह नौ बजे से पहले घर नहीं आएगी. अगर मैं उसे कॉल करुं, तो वह वो नहीं उठाएगी.
ठीक है, मैं उसे व्हाट्सएप पर पकड़ लूंगा जब वह देर रात ऑनलाइन होगी.
तो, मैं कंप्यूटर पर अपना काम करने बैठ गया. लेकिन मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर सका.
मैं बार-बार व्हाट्सएप देखता रहा.

आखिरकार, वह आधी रात ऑनलाइन आई.
मैंने तुरंत उसे एक संदेश भेजा:

“हाय बेबी!
मुझे आज अपने जन्मदिन पर एक अद्भुत उपहार मिला.
अपमान! इन्सल्ट! अपमान! मेरे सभी दोस्तों के सामने!
और वह भी मेरी सबसे करीबी और सबसे अच्छी दोस्त से!
मुझे आज तक किसी भी जन्मदिन पर ऐसा उपहार नहीं मिला था.
धन्यवाद बेबी, इस अनोखे उपहार के लिए.”

मैंने सोचा था कि वो माफी मांगेगी. लेकिन उसका जवाब था,
“किसने शुरू किया? आज कितनी बार तुमने मुझे अपमानित किया? क्या तुमने कभी सोचा कि मुझे कितना बुरा लगा होगा?”
“मैंने तुम्हें अपमानित किया? कब?”
“याद करो, आज कितनी बार तुमने मुझे मोटी कहा? सबके सामने!”
“हा हा हा ! तुम मोटी ही हो, है ना? अगर मुझे तुम्हें मोटी नहीं कहना चाहिए, तो क्या मुझे तुम्हें दुबली कहना चाहिए? और तुमने मुझे इसलिए अपमानित किया क्योंकि मैंने तुम्हें मोटा कहा? और वह वो भी मेरे जन्मदिन पर? बड़ों की तरह बर्ताव करो, बेबी! ग्रो अप”
“चुप रहो! तुम अपने आपको बहुत स्मार्ट समझते हो. पता नहीं मैं कैसे तुम्हारे झांसे में आ गयी. लेकिन अब बहुत हो गया. आज से हमारी दोस्ती खत्म.”
“दोस्ती खत्म? जाओ फिर! मुझे तुम्हारी दोस्ती की जरूरत नहीं है. मेरे पास बहुत सारे दोस्त हैं!”
“मुझे पता है! वो तुम्हारे दोस्त हैं क्योंकि तुम उन्हें खिलाते हो!”
“ऐसा है? तो तुमने मुझसे दोस्ती क्यों की? डेटिंग के लिए? हा हा हा!”
“चुप रहो! डेटिंग, मेरी जूती!”
“……”
“और आजतक चॅटिंग में तुमने क्या-क्या लिखा! अब मैं सबको दिखाऊंगी! तुम्हारे दोस्तों को भी!”
“दिखाओ, दिखाओ! सबको दिखाओ! देखेंगे लोग किस पर विश्वास करते हैं! तुम पर या मुझ पर. मैंने हमारी चैट में कुछ भी गलत नहीं लिखा. और याद रखना, मैं ही हूं जो हमारे ग्रुप में तुम्हारे बारे में अच्छा बोलता हूं. तुम्हें पता है लोग तुम्हारे बारे में क्या क्या कहते हैं. तुम्हारी एक दोस्त ने मुझसे कहा था, ‘सौ चूहे खाकर बिल्ली चली आयी है तुम्हारे पास …’ क्या मैंने उस पर विश्वास किया? नहीं, उल्टे मैंने उससे कहा, ‘पहले गिनो तुमने कितने चूहे खाए हैं!”
“……”
“तो, कब दिखाओगी सबको वो सारी चॅटिंग? या मैं दिखाऊं?”
“तुमने चॅटिंग में मुझसे फ्लर्ट किया.”
“तो क्या? क्या मैंने कभी कुछ गंदा लिखा? मेरी सारी फ्लर्टिंग साफ-सुथरी हैं. ऐसी फ्लर्टिंग हर कोई नहीं कर सकता. तुम एक अंग्रेजी की टीचर हो, तुमने मेरे फ्लर्टिंग के हाय स्टॅण्डर्ड को नहीं समझा? और अगर मेरी फ्लर्टिंग से तुम्हें परेशानी थी, तो तुमने मुझे पहले ही क्यों नहीं रोका? तुम इसका आनंद ले रही थी, है ना? हा हा हा!”
“आनंद, मेरी जूती!”
“अरे, तुम बार-बार ‘मेरी जूती’ क्यों कहती हो? बस्स हो गया, जाओ अब! तुम्हारे नखरे बहुत हो गए! तुम मुझे हल्के में ले रही हो. मेरी गलती थी कि मैंने तुम्हें बहुत प्यार दिया. तुम एक निर्दयी औरत हो. तुम्हारे सारे जज्बात मर चुके हैं. फिर भी, मैंने तुमसे प्यार किया. मैंने सोचा था कि तुम्हारा दिल कभी न कभी पिघल जाएगा! लेकिन तुम और कठोर हो गई. मैंने अब तक सहन किया, लेकिन अब बहुत हो गया. तुम्हें रिश्ते तोड़ना पसंद है, है ना? प्लीज मुझे अलविदा कहो, हमेशा के लिए!”
“……”
“अलविदा कहो, बेबी, ताकि हम अपनी दोस्ती खत्म कर सकें.”
“……”
“तुम अलविदा कहोगी, बेबी? या मैं कहूं?”
“वाह, वाह! और तुम बार-बार कहते थे कि तुम मुझे कभी नहीं छोड़ोगे, कि तुम मुझसे दूर नहीं जाओगे… वो सब एक नाटक था!”
“नहीं, बेबी! वो नाटक नहीं था. देखो, बेबी, मैं अलविदा नहीं कहना चाहता. तुम भी नहीं कहना चाहती. क्या तुम्हें नहीं लगता कि हमारी दोस्ती हमेशा के लिए होनी चाहिए? फिर हम क्यों लड़ते रहते हैं? क्या इससे हमें कोई फायदा होगा?”
“मुझे माफ कर दो… मैं अब कभी तुम्हारा अपमान नहीं करूंगी.”
“तुम क्यों माफी मांग रही हो, बेबी? गलती मेरी थी. तुमने बस रिएक्शन दिया. मुझे तुमसे माफी मांगनी चाहिए.”
“फिर भी, मैं माफी मांग रही हूं”
“ठीक है, ठीक है! मैंने तुम्हारा इन्सल्ट किया, इसलिए जवाब में तुमने मेरा इन्सल्ट किया, और अब हम दोनों ने एक-दूसरे से माफी मांग ली! हिसाब बराबर हो गया!”
“हां!”
“लेकिन अच्छा हुआ कि आज हम लड़ पड़े!”
“क्यों? ऐसा क्यों कह रहे हो?”
“अरे, मुझे एक नई कहानी का टॉपिक मिल गया!”
“हां! लिखो, जरूर लिखो!”
“ठीक है, बाय बाय! कल मिलते हैं!”
“बाय बाय!”

“बेबी, रुको रुको…”
“क्या हुआ… “
“एक रिक्वेस्ट है …”
“क्या..?”
“तुम कभी-कभी मुझसे लड़ाई किया करो…”
“नहीं, अब मैं तुमसे नहीं लड़ूंगी.”
“अरे, करो ना! चेंज के लिए. दोस्ती का मजा तभी आता है थोडी बहुत लडाई हो. और चाहे हम कितनी भी लड़ाई कर लें, हमारी दोस्ती कभी नहीं टूटेगी. जब तुम लड़ती हो, तो वह एक थ्रिलिंग अनुभव होता है! और जब तुम गुस्से में होती हो तो बहुत खूबसूरत लगती हो…”
“हा हा हा… बाय बाय!”
“बाय बाय!”

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