महावीर सांगलीकर
अँजेलिना बॅण्ड की कहानी यह एक मजेदार कहानी है अँजेलिना बॅण्ड की, जो भारत में पैदा हुई और बाद में जर्मनी में बस गई. (यह कहानी अंग्रेजी में पढिये: Short Story: Angelina Band , मराठी में पढिये: अँजेलिना बॅण्डची गोष्ट)
फादर जोसेफ बॅण्ड एक ब्रिटिश भारतीय पादरी थे. उनका एक बीटा था जिसका नाम विलियम था. अपनी युवावस्था में, विलियम ने कलकत्ता में अध्ययन किया, जहां उसने भारत के प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास यह विषय चुने थे. अपने शोधकार्य के लिए विलियम अक्सर कलकत्ता में रॉयल एशियाटिक सोसाइटी जाता था. वहीं उसकी मुलाकात जर्मनी से आई एक युवा महिला मिली से हुई, जो भारतीय धर्मों के इतिहास का अध्ययन कर रही थी. वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए.
बाद में विलियम को पुणे के एक कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई. उसने मिली को पुणे आने का निमंत्रण दिया, और उसे भी वहां प्रोफेसर की नौकरी मिल गई.
जल्द ही, दोनों ने शादी कर ली और एक बेटे और एक बेटी के माता-पिता बने. उन्होंने अपनी बेटी का नाम अंजली रखा.
सब कुछ अच्छा चल रहा था. विलियम और मिली अपने करियर और पारिवारिक जीवन का आनंद ले रहे थे. तभी प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया. इंग्लंड और जर्मनी के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण विलियम और मिली के बीच भी संबंध बिगड़ने लगे.
विलियम के साथ लगातार झगड़ों के बाद एक दिन मिली ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अंजली को लेकर जर्मनी चली गई. हालांकि, उनका बेटा पुणे में ही रहा. उसका नाम जेम्स था. जेम्स बॅण्ड. लेकिन वह वह प्रसिद्ध जेम्स बॉन्ड नहीं था जिसे हम जानते हैं. यह जेम्स बॅण्ड था. उच्चारण में अंतर स्पष्ट है. इसके अलावा जेम्स बॉन्ड 007 था, लेकिन जेम्स बॅण्ड को कभी अपने नाम के आगे कोई नंबर लिखने की जरुरत नहीं पड़ी, क्यों कि उसका नाम ही काफी था!
अँजेलिना बॅण्ड की कहानी
तो, जब जेम्स की मां उसे और उसके पिता को छोड़कर जर्मनी चली गई, तब जेम्स बॅण्ड सिर्फ 16 साल का था. यह जेम्स का मॅट्रिक का वर्ष था, इसलिए विलियम ने जेम्स की पढ़ाई के लिए मार्गदर्शन देने के लिए पुणे की एक शिक्षिका से शादी कर ली. अपनी नई मां की सख्त देखरेख के कारण जेम्स अच्छे अंकों से पास हो गया. फिर विलियम ने उसे इंग्लंड में रॉयल मिलिट्री अकॅडेमी भेज दिया.
वहां अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जेम्स भारत लौट आया और भारतीय सेना में एक अधिकारी के रूप में शामिल हो गया. उस समय, प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था. जेम्स युद्ध में जाना चाहता था, लेकिन जब तक वह सेना में शामिल हुआ, युद्ध समाप्त हो चुका था. इस प्रकार, उस समय उसकी वीरता की आकांक्षाएं अधूरी रह गई.
इस बीच जर्मनी में उसकी बहन अंजली बॅण्ड ने अंग्रेजी भाषा में एक विशेष डिग्री के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की. फिर उसने कई छोटे-छोटे कोर्स पूरे किए. सिलाई सीखी. तब कंप्यूटर नहीं थे, इसलिए उसने टाइपराइटर का उपयोग करना सीखा.
वह इतनी तेजी से टाइप करती थी कि कुछ ही दिनों में उसके टाइपराइटर ढीले हो जाते थे.
फिर उसने नौकरी की तलाश शुरू की. जल्द ही, उसे एक बड़ी कंपनी में छोटी सी नौकरी मिल गई, लेकिन वह वहां संतुष्ट नहीं हो पाई. उसने बार-बार नौकरियां बदलीं लेकिन कोई भी उसे सूट नहीं कर सकी. फिर उसके एक दोस्त ने उसे कहा, “तुम स्यांग ली से एक बार मिलो, तुम्हारी समस्या तुरंत हल हो जाएगी और तुम्हें मनचाही नौकरी मिल जाएगी.”
अंजली स्यांग ली से मिलती है
स्यांग ली एक चीनी अंकशास्त्री (Numerologist) थे जो अक्सर जर्मनी आया करते थे. उनका न्यूमरॉलॉजी का ज्ञान उच्च दर्जे का था. उनसे मार्गदर्शन पाने के लिए बड़े बडे लोग आया करते थे. यहां तक कि हिटलर भी उनसे परामर्श करता था.
अंजली स्यांग ली से मिलने उसके कार्यालय गई, जो ग्राहकों से भरा हुआ था. रिसेप्शनिस्ट ने उसे बताया कि स्यांग ली से तुम अगले महिने मिल सकती हो, क्यों कि एक महीने के अपॉइंटमेंट्स बुक हो चुके है. निराश अंजली वहां से जाने लगी, तभी रिसेप्शनिस्ट को इंटरकॉम पर फोन आया. रिसेप्शनिस्ट ने फोन पर बात की और तुरंत अंजली से कहा, “मैडम, एक मिनट रुको… मुझे रजिस्टर चेक करने दो…” जल्दी से चेक करने के बाद उसने धीरे से कहा, “15 मिनट रुक जाओ, मैं तुम्हें सर के पास भेज दूंगी.”
जल्द ही अंदर का ग्राहक बाहर आया, और रिसेप्शनिस्ट ने अंजली को अंदर भेजा.
अंजली ने कल्पना की थी कि स्यांग ली एक सामान्य चीनी व्यक्ति की तरह दिखेंगे, लेकिन वह एक भारतीय व्यक्ति की तरह दिखते थे!
स्यांग ली ने अंजली को सामने की कुर्सी पर बैठने के लिए कहा और हिंदी में बोले, “बोलो अंजली, तुम्हारी समस्या क्या है? क्या तुम्हें मनचाही नौकरी नहीं मिल रही है ? या फिर तुम अभी तक शादी नहीं हुई इसलिए आई हो?”
अंजली के मन में 4 सवाल उठे. स्यांग ली के सवाल का जवाब देने के बजाय, उसने उनसे पूछा, “सर, पहले मुझे बताएं, अगर आप चीनी हैं, तो आप एक भारतीय की तरह क्यों दिखते हैं? और आपको कैसे पता चला कि मैं हिंदी बोलती हूं? आपको कैसे पता चला कि मेरी समस्या क्या है? कैसे मालुम हुआ कि मेरा नाम अंजली है?”
स्यांग ली हंसते हुए बोले, “हम इस बारे में बाद में बात करेंगे, पहले तुम्हारी समस्या हल करें. अपना पूरा नाम और जन्म तारीख बताओ.”
अँजेलिना बॅण्ड की कहानी
“अंजली विलियम बॅण्ड… जन्म तारीख 26 सितंबर 1912,” उसने बताया. यह सुनकर, स्यांग ली थोड़े गंभीर हो गए, लेकिन फिर उन्होंने उसे आश्वस्त किया, “तुम्हें मनचाही नौकरी मिल जाएगी, लेकिन तुम्हें अपना नाम बदलना होगा….. जर्मनी में अंजली नहीं चलेगा… अँजेला का उपयोग करो… या अँजेलिना भी चलेगा… एक महीने के अंदर तुम्हें बहुत अच्छी नौकरी मिल जाएगी… अब जाओ…”
“सर, आपकी फीस?” अंजली ने पूछा. स्यांग ली ने जवाब दिया, “जब तुम्हें नौकरी मिल जाए, तब देखेंगे… आज से, सबको बताना शुरू कर दो कि तुम्हारा नाम अँजेलिना है… और नौकरी की अर्जी भी अँजेलिना नाम से लिखो.”
अंजली कुर्सी से उठी और जाने ही वाली थी, तभी स्यांग ली अपनी डायरी देखते हुए बोले, “बेटी, तुमने अपना नाम क्या बताया? अंजली विलियम बॅण्ड, है न?”
“नहीं, नहीं… मेरा नाम अँजेलिना विलियम बॅण्ड है!” उसने कहा और हसते हुए केबिन से बाहर निकल गई.
अंजली अँजेलिना बनती है और…
…क्या आश्चर्य है! जैसे ही स्यांग ली ने भविष्यवाणी की थी, कुछ ही दिनों में, अँजेलिना को एक ऐसी जगह नौकरी मिल गई जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. उसे नौकरी मिले और स्यांग ली की बात सच साबित हो इसके लिए जर्मनी पर युद्ध के बादल मंडराने लगे. विभिन्न सरकारी विभागों में भर्ती शुरू हो गई.
अँजेलिना ने एक जर्मन अखबार में पढ़ा कि जर्मन सरकार मुख्यालय में टाइपिस्टों की भर्ती हो रही है. उसने तुरंत टाइपिस्ट पद के लिए एक अर्जी लिख दी. (यह अर्जी आज भी जर्मन सरकार के अभिलेखागार में उपलब्ध है. इसमें हड़बड़ी में लिखे जाने के निशान हैं. यदि आपको मौका मिले और आप जर्मनी जाएं, तो इसे अवश्य देखें).
कुछ ही दिनों में अँजेलिना को इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया.
अँजेलिना इंटरव्यू स्थल पर पांच मिनट पहले पहुंच गई. वहां इंटरव्यू देने के लिए लंबी कतारें लगी थीं. अँजेलिना सुंदर थी, लेकिन कतार में कई युवा महिलाएं उससे अधिक सुंदर दिख रही थीं. अँजेलिना समझ गयी कि उसे यहां कोई मौका नहीं मिलेगा. वह वापस मुड़ने ही वाली थी, तभी दो गार्ड उसके पास आए और उन्होंने अँजेलिना को सलामी दी! उन्होंने उसे सम्मानपूर्वक साक्षात्कार केबिन तक पहुंचाया. यहां तक कि चौकीदार ने भी उसे सलामी दी और शिष्टता से केबिन का दरवाजा उसके लिए खोला.
अँजेलिना का इंटरव्यू
अँजेलिना समझ नहीं पा रही थी कि ये लोग उसे इतना सम्मान क्यों दे रहे थे. विचारों में खोई हुई वह केबिन में प्रवेश कर गई, और उसके आश्चर्य और खुशी से चौंक गयी! वहां इंटरव्यू लेने के लिए तीन युवा महिलाएं बैठी हुई थीं, और तीनों उसकी स्कूल और कॉलेज की क्लास मेट्स थीं. बीच वाली कुर्सी पर बैठी महिला उसकी करीबी दोस्त थी. वह कौन थी? वह और कोई नहीं, हिटलर की प्रेमिका ईवा ब्राउन थी. क्या वह इंटरव्यू लेने वाली थी?
वह तीनों महिलाएं उठ खड़ी हुईं, उसकी ओर दौड़ीं और एक-एक करके उसे गले लगाया. फिर वे वापस अपनी कुर्सियों पर चली गईं, दोस्त से इंटरव्यू लेने वाली बन गईं. उन्होंने अँजेलिना को उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठने का आदेश दिया.
ईवा ने फाइल से अँजेलिना का आवेदन निकाला और कहा, “तुम्हारा जन्म भारत में हुआ था. चूं कि भारत ब्रिटिश शासन के अधीन है और ब्रिटेन जर्मनी का दुश्मन है, तो भारत भी जर्मनी का दुश्मन ही है. अब बताओ, तो हम तुम्हें नौकरी कैसे दे सकते हैं?”
यह सुनकर अँजेलिना का चेहरा मुरझा गया. तभी ईवा ने कहा, “लेकिन हमने तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानकारी निकली है. तुम्हारी मां तुम्हारे पिता से झगड़ा करके तुम्हें लेकर भारत से यह आई. झगड़े का कारण तुम्हारी मां की देशभक्ति थी. हमें विश्वास है कि तुम्हारे मन में भी जर्मनी के लिए अपर प्यार है. इसलिए, हम तुम्हें नौकरी दे रहे हैं. बस एक बात याद रखना: टाइप करते समय थोड़ा धीरे करना, और पेन से लिखते समय ज्यादा जोर लगाकर मत लिखना. दोनों निब और कागज खराब हो जाते हैं. अपनी अर्जी देखो, यह कई जगह फटी हुई है. चलो अब तुम्हारी नौकरी पक्की. कल से काम शुरू. तुम अब जा सकती हो.”
अँजेलिना बॅण्ड की कहानी
“धन्यवाद,” अँजेलिना ने कहा, “लेकिन मैं एक सवाल का जवाब चाहती हूं.”
“क्या?”
“तुम्हें मेरे माता-पिता के झगड़े के बारे में कैसे पता चला? मेरी मां इस बारे में किसी को नहीं बतातीं. अब तक मुझे लगा था कि पूरे जर्मनी में केवल मेरी मां और मैं ही इस बारे में जानते थे.”
“यह जानकारी पाना हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. पुणे के कॉलेज में जहां तुम्हारे पिता पढ़ाते हैं, एक जर्मन छात्रा है. उसने सीधे तुम्हारे पिता से हमारे लिए जानकारी निकाली. और हम यह भी जानते हैं कि तुम्हारे माता पिता कलकत्ता में थे और उन दोनों में प्यार हुआ था. तुम्हारा भाई तुम्हारा भाई जेम्स बॅण्ड भारतीय सेना में अधिकारी है. तुम उससे ज्यादा संबंध नहीं रखना, नहीं तो तुम्हारी नौकरी जा सकती है. और हम यह भी जानते है कि तुम्हारा पूरा खानदान वेजेटेरियन है… तुम्हारे दादाजी से लेकर तुम तक..”
यह सुनकर अँजेलिना हैरान रह गई. उसे गर्म चाय या कॉफी की ज़रूरत महसूस हुई. जैसे ही वह जाने वाली थी, ईवा ने कहा, “रुको, जाने से पहले कॉफी पियो!”
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